Tuesday 23 February, 2010

क्या 2012 में धरती पर प्रलय आएगा?

क्या 2012 में धरती पर प्रलय आएगा? यह सवाल पूरी दुनिया के लोगों की जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है। हालाँकि ज्यादातर लोगों का मानना है कि पहले छोड़े गए शिगूफों की तरह इस बार भी 'प्रलय का डर' महज अफवाह बनकर रह जाएगा। इस बारे में अंकशास्त्रियों का कहना है कि घबराएँ नहीं। यह सिर्फ अफवाहों का दौर है। लोगों में एक भय और घबराहट है, लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है। 

21 
दिसंबर 2012 की घटना सिर्फ एक खगोलीय घटना है। इस घटना में पृथ्वी के पास आने वाले अनजाने ग्रह से गुरुत्वाकर्षण बढ़ेगा जिसके फलस्वरूप समुद्र में तूफान आना, मौसम में परिवर्तन आदि होने की संभावना है। यह भी हो सकता है कि पृथ्वी इस ग्रह को पूर्णतः नष्ट कर दे। इससे पृथ्वी पर हलचल जरूर हो सकती है। 
इस बारे में अंक ज्योतिषाचार्य संजय दुल्हानी कहते है कि माया सभ्यता कैलेंडर सिर्फ 2012 तक ही बनाया गया है इसी को आधार मानकर ज्योतिषी पृथ्वी के विनाश की भविष्यवाणी कर रहे हैं। वे कहते हैं कि 2012 बुध का अंक है। इसके अनुसार यदि इस वर्ष ऐसी कोई घटना घटित होती है तो उसके फलस्वरूप पृथ्वी में उथल-पुथल या कोई बड़ा युद्ध होने की संभावना है। 
अंक ज्योतिषी गंभीर श्रीवास्तव के मुताबिक 21 दिसंबर 2012 तिथि सूर्य और चंद्र के प्रभाव में रहेगी। उन्होंने बताया कि सूर्य सृष्टि का पालनकर्ता है इसलिए इस तिथि में कुछ अशुभ होने का सवाल ही नहीं उठता। चंद्र कुंडली के अनुसार, इस दिन चंद्रमा मीन राशि में रहेगा, इसके साथ ही इस दिन सभी नवग्रह शुभ स्थितियों में रहेंगे। ऐसी स्थिति में कुछ अनिष्ट होने की संभावना नहीं है।
ज्ञात हो कि कथित भविष्यवाणी में कहा गया है कि 2012 में इस धरती से इंसानों का नामोनिशान मिट जाएगा। 21 दिसंबर 2012 को एक क्षुद्र ग्रह धरती से टकराएगा। नतीजतन भयानक भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और सूनामी जैसी आपदाओं से भारी विनाश होगा। 
करीब 250 से 900 ईसा पूर्व माया नाम की सभ्यता हुआ करती थी। ये लोग जिस कैलेंडर का इस्तेमाल करते थे, वह 21 दिसंबर 2012 को खत्म हो रहा है। माया सभ्यता के लोग मानते थे कि जब इस कैलेंडर की तारीखें खत्म होती हैं, तो धरती पर प्रलय आता है और नए युग की शुरुआत होती है। यह भी चर्चा है कि 14वीं सदी के फ्रांसीसी भविष्यवक्ता माइकल द नास्रेदेमस ने भी 2012 में धरती के खत्म होने की भविष्यवाणी की है। 
इंटरनेट पर कुछ कथित वैज्ञानिकों (पता नहीं, वे हैं भी या नहीं)के हवाले से लिखा जा रहा है कि 'प्लेनेट एक्स निबिरू'नाम का एक ग्रह दिसंबर 2012 में धरती के काफी करीब से गुजरेगा। हो सकता है यह पृथ्वी से टकरा भी जाए। यह टक्कर वैसी ही होगी, जिससे पृथ्वी से डायनासोर का नामोनिशान मिट गया था। इसके अलावा आकाशगंगा (मिल्की-वे) के ठीक मध्य से सूर्य अलाइन करेगा। यह 26 हजार साल में पहली बार होगा। इससे बेतहाशा एनर्जी निकलेगी। 
इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक तर्क यह कहते हैं कि महाप्रलय की बातें लोगों द्वारा सिर्फ कल्पना मात्र है। इस संबंध में महाकौशल विज्ञान परिषद व इसरो के वैज्ञानिकों ने भी ऐसी किसी संभावना से इंकार किया है

Friday 5 February, 2010

SIKAR_SMS: भजन संग्रह By Govind Soni

SIKAR_SMS: भजन संग्रह By Govind Soni

भजन संग्रह By Govind Soni

भजन संग्रह By Govind Soni
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भये प्रगट कृपाला-

भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी .
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ..

लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी .
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी ..

कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता .
माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता ..

करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता .
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयौ प्रकट श्रीकंता ..

ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै .
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै ..

उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै .
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ..

माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा .
कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ..

सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा .
यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते न परहिं भवकूपा ..

बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार .
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार ..
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नाम जपन क्यों छोड़ दिया-
नाम जपन क्यों छोड़ दिया

क्रोध न छोड़ा झूठ न छोड़ा
सत्य बचन क्यों छोड दिया

झूठे जग में दिल ललचा कर
असल वतन क्यों छोड दिया

कौड़ी को तो खूब सम्भाला
लाल रतन क्यों छोड दिया

जिन सुमिरन से अति सुख पावे
तिन सुमिरन क्यों छोड़ दिया

खालस इक भगवान भरोसे
तन मन धन क्यों ना छोड़ दिया

नाम जपन क्यों छोड़ दिया ॥
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दर्शन दो घनश्याम नाथ-
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे ..

मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी .
युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे ..
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..

द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले .
अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे ..
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..

पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ .
आँख मिचौली छोड़ो अब तो घट घट वासी रे ..
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..
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बस इक बार तु भी आजा ऐ माँ मेरे घर पे..-

हर साल मैं आता हुँ मैया तेरे दर पे..२
इक बार तु भी आजा ऐ माँ मेरे घर पे..२
मै तेरी ज्योत जागउँगा चुनडी लाल चढ़ाउगा..२
पूजा का थाल सजा मैं तेरी आरती गाउँगा
आप भी आना अपने संग में शिवशंभु को भी लाना मैया..
शिवशंभु को भी लाना....२
माँ गणपती हनुमान और भैरव नाथ को नहीँ भुलाँना
भैरव नाथ को नहीँ भुलाँना...२
आप भी आना अपने संग में भौलेनाथ
गणपती हनुमान और भैरव नाथ को नहीँ भुलाँना..२
ना आई तो मारे ताना ये दुनियाँ इस नर पे
इक बार तु भी आजा ऐ माँ मेरे घर पे..२
मै तेरी ज्योत जागउँगा चुनडी लाल चढ़ाउगा..२
पूजा का थाल सजा मैं तेरी आरती गाउँगा
तुम गायत्री तुम सावत्री तुम लक्ष्मी ब्रम्हाणी..२ मैया
शारदा माता हो पार्वती हो काली कल्याणी माता..२
तुम गायत्री तुम सावत्री तुम लक्शमी ब्रम्हाणी..२ मैया
शारदा माता हो पार्वती हो काली कल्याणी माता..२
तेरी दया से चाँद और सुरज चमके अँबर पे
बस इक बार तु भी आजा ऐ माँ मेरे घर पे..२
मै तेरी ज्योत जागउँगा चुनडी लाल चढ़ाउगा..२
माँ पूजा का थाल सजा मैं तेरी आरती गाउँगा..
पूरी करना मेरी मुरादे लख्खा लाल तुम्हारा मात
माँ लख्खा लाल तुम्हारा
तुम भक्तों की सुनती आई हैं विश्वास हमारा मैया
हैं विश्वास हमारा माता...२
पूरी करना मेरी मुरादे लख्खा लाल तुम्हारा माता
माँ लख्खा लाल तुम्हारा
तुम भक्तों की सुनती आई हैं विश्वास हमारा मैया
हैं विश्वास हमारा माता...२
अब हाथ दया का माँ रख बाल के सर पे
बस इक बार तु भी आजा ऐ माँ मेरे घर पे..२
मै तेरी ज्योत जागउँगा चुनडी लाल चढ़ाउगा..२
माँ पूजा का थाल सजा मैं तेरी आरती गाउँगा..
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मन तरपत हरि दर्शन को आज-
हरि ॐ, हरि ॐ, हरि ॐ, हरि ॐ

मन तरपत हरि दर्शन को आज,
मोरे तुम बिन बिगरे सगरे काज

बिनति करत हू, रखियो लाज ......

मन तरपत हरि दर्शन को आज

तुमरे द्वार का मैँ हू जोगी,

हमरी ओर नजर कब होगी

सुनो मोरे ब्याकुल मन का बाज.......

मन तरपत हरि दर्शन को आज

बिन गुरु ग्यान कहा से पाऊ,

दिजो दान हरि गुन गाऊ

सब गुनी जन पे तुमरा राज.....

मन तरपत हरि दर्शन को आज

मुरली मनोहर आस ना तोडो,

दुःख भंजन मोरा साथ ना छोडो

मोहे दर्शन भीक्षा दे दो
आज दे दो आज

मुरली मनोहर मोहन गिरधर

हरि ॐ हरि ॐ
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मंगल मुरत मारुतिनंदन हे बजरंगबली-
जै श्री हनुमान जै श्री हनुमान

मंगल मूरती मारुत नंदन, सकल अमंगल मूल निकंदन |

पवनतनय संतन हितकारी, ह्रदय विराजत अवध बिहारी | |

जै जै जै बजरंगबली ...३

महावीर हनुमान गौसाई,

महावीर हनुमान गौसाई,

तुम्हरी याद भली ......

जै जै जै बजरंगबली .....२

साधु संत के हनुमत प्यारे, भक्त ह्रदय श्री राम दुलारे .....२

राम रसायन पास तुम्हारे, सदा रहो तुम राम द्वारे,

तुम्हारी कृपा से हनुमत वीरा .....२

सगली विपत्त टली .......

जै जै जै बजरंगबली .....२

महावीर हनुमान गौसाई....२,

तुम्हरी याद भली .......

जै जै जै बजरंगबली ...२

जय जय श्री हनुमान २...

जै जै जै बजरंगबली. ..



तुम्हरी शरण महा सुखदाई, जय जय हनुमान गौसाई ...२

तुम्हरी महिमा तुलसी गाई, जगजननी सीता महा माई,

शिव शक्ती की तुम्हरे ह्रदय, ज्योत महान जली ...जै जै जै बजरंगबली ...२

महावीर हनुमान गौसाई....२

तुम्हरी याद भली.......

जै जै जै बजरंगबली....२

जय जय श्री हनुमान ......२

जै जै जै बजरंगबली. ....
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प्रभुजी तुम चंदन हम पानी-
प्रभूजी ...८

प्रभूजी तुम चंदन हम पानी पानी...२

जाकि अंग अंग बास समानी...२

प्रभूजी तुम चंदन हम पानी पानी...२

प्रभूजी तुम घनवन, हम मोरा रे ...२

जैसे चितवत, चंद चकोरा...२

प्रभूजी तुम चंदन हम पानी पानी...२

प्रभूजी तुम दिपक हम बाती. ..४

जाकि ज्योत बले दिन राती...२

प्रभूजी तुम चंदन हम पानी पानी...२

प्रभूजी तुम मोती हम धागा....४

जैसे सोने में मिलत सुहागा...२

प्रभूजी तुम स्वामी, हम दासा...२

ऐसी भक्ती कर रहे दासा....२

प्रभूजी तुम चंदन हम पानी पानी...२
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बडी देर भई बडी देर भई, कब लोगे खबर मोरे राम...२

बडी देर भई, बडी देर भई

कहते है तु हो दया के सागर... २

फिर क्यों खाली मेरी गागर

झुमें झुके कभी ना बरसे, कैसे हो तुम घनश्याम..... हे राम

बडी देर भई.......२

कब लोगे खबर मोरे राम २ .....

बडी देर भई, बडी देर भई

सुनके जो बहरे बन जाओगे, आप ही छलिया कहलाओगे

मेरी बात बने ना बने, हो जाओगे तुम बदनाम... २ हे राम

बडी देर भई..२ कब लोगे खबर मोरे राम

चलते चलते मेरे पैर हारे आई जीवन की शाम

कब लोगे खबर मोरे राम, बडी देर भई २
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माता ओ माता पहाडोंवाली माता

आऊँगी आऊँगी मैं अगले बरस फिर आऊँगी

लाऊँगी लाऊँगी तेरी लाल चुनरियाँ लाऊँगी.....२

तेरी महिमा सुनते हैं तेरी महिमा गाते हैं

आँख में आँसू लाते हैं मोती लेकर जाते हैं |....२

पर्वत पे है डेरा ऊँचा मंदिर तेरा

तेरी शरण में आ के जागा जीवन मेरा

जय शेरावाली दी जय मेहरावाली दी...२

जय माता रानी की

माता ओ माता पहाडोंवाली माता...२

मन में हैं तेरी भक्ती हम जाने तेरी शक्ति

दुखः क्या हैं दुखः की छाया ये हमको छु नहीं सकती

जितनी शक्तिशाली उतनी ही तु भोली

बिन मांगे ही तुने भर दी मेरी झोली

जय ज्योतावाली दी जय लाटा वाली दी ..२

जय माता रानी की

आऊँगी आऊँगी मैं अगले बरस फिर आऊँगी

लाऊँगी लाऊँगी तेरी लाल चुनरियाँ लाऊँगी.....२



तन पूजा की थाली साम्रगी हैं मन की

माँ तेरे चरणों में भेंट है निर्धन की

जय भवँरावाली दी जय छत्रवाली दी

जय माता रानी की

माता ओ माता पहाडोंवाली माता

आऊँगी आऊँगी मैं अगले बरस फिर आऊँगी

लाऊँगी लाऊँगी तेरी लाल चुनरियाँ लाऊँगी.....२

तेरी महिमा सुनते हैं तेरी महिमा गाते हैं

आँख में आँसू लाते हैं मोती लेकर जाते हैं |
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बेगि हरो हनुमान महाप्रभू जो कछु संकट होये हमारो

कोन सो संकट मोर गरिब को जो तुमसे नहीं जात है टारो

जै जै जै हनुमान गोसाई कृपा करो महाराज ...२

तन में तुम्हरे शक्ति बिराजे ,मन भक्ति से भिना

जो जन तुम्हरि शरण में आये दुखः दरद हर लिना

हनुमत दुखः दरद हर लिना

महावीर प्रभू हम दूखियन के तुम हो गरिबनिवाज

हनुमत तुम हो गरिबनिवाज

जै जै जै हनुमान गोसाई कृपा करो महाराज ...२

राम लखन वैदही तुम पे सदा रहे हर्षाये

ह्रदय चीर के राम सिया का दरसन दिया कराय

हनुमत दरसन दिया कराय

दो कर जोर अरज हनुमता कहियो प्रभू से आज

हनुमत कहियो प्रभू से आज

जै जै जै हनुमान गोसाई कृपा करो महाराज ...२
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इक दिन गिरजा शिव से बोली मैं ये समझ ना पाई प्रभू

महल दिये भक्तों को अपनी कुटीया काहे बनाई प्रभू
तुम त्रिलोकीनाथ हो स्वामी घट घटवासी अंतर्यामी

ऋषि मुनि भी कहते सारे तुम सृष्टि के पालनहारे

फिर किस कारण अपने तन तुम ने भस्म रमाये प्रभूजी,.....

देव तुम्हारे ध्यान लगाये श्री चरणों में शिश झुकाये

मनचाहे वरदान दिये हैं सब को पृष्पविमान दिये हैं

तुम्हे सवारी नंदी गण की ना जाने क्यों भाई प्रभूजी....

भेद ये क्या हैं मैं ना जानी लोग कहे क्यों ओ घरदानी
क्यों डेरे कैलाश पर डाले तु ही जाने डमरुवाले

मस्तक चंदा और जटा में गंगा क्यों बसाई प्रभूजी......
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सुनो सुनो इक कहानी सुनो , ना राजा की ना रानी की

ना आग हवा ना पानी , ना कृष्णा की ना राधा रानी की

दूध झलकता हैं आचँल से आँख से बरसे पानी ...सुनों सुनों

माँ की ममता की है ये कहानी .....सुनो सुनो

इक भक्त जो दीन हीन था कटरे में रहता था

माँ के गुण गाता था माँ के चरण सदा कहता था ...सुनो सुनो

एक बार भैरव उससे कहा कि कल आयेंगे

कई साधुओं सहित तुम्हारें घर खाना खायेंगे

माँ के भक्त ने सोचा कैसे उनका आदर होगा

बिन भोजन के साधुजनो का बडा निरादर होगा ...सुनो सुनो

माता से विनंती कि उसने अन्न कहाँ लाऊ ?

मैं तो खुद भुखा हुँ भोजन कैसे उन्हें खिलाऊ ?

माँ ने कहा तु चिंता मत कर कल तु उन्हें बुलाना

उनके साथ ये सारा गाँव खायेगा तेरा खाना....सुनों सुनों

नमन किया उसने माता को आ गया घर बेचारा

दुजे दिन क्या देखा उसने भरा है सब भंडारा ...सुनों सुनो

उस भैरव जिसने ये सारा षंडयत्र रचाया

कई साधुओं सहित जिमने उसके घर पे आया

अति शुद्र भोजन देखकर बोला माँस खिलाओ

जाओ हमारे लिये कहीं से मदिरा ले कर आओं.....सुनों सुनों

आग बबुला हो गया जब देखा उसने भंडारा

कोध्र से भर के उसने जोर से माता को ललकारा

माँ आई तो उसने कस के माँ के हाथ को पकडा

हाथ छुडा के भागी माता देख रहा था कटरा

अपने रक्षा के खातिर इक चमत्कार दिखलाया

वो स्थान छिपी जहाँ माँ का गर्भजून कहलाया

नो मास का छिप कर वही पर माँ ने समय गुजारा

समय हुवा फिर माँ ने भैरव को संहारा

खड् से सर को जुदा किया थी ज्वाला माँ के अंदर

जहाँ गिरा सर भैरव का वहाँ बना है भैरव मंदिर.....

अपरम्पार है माँ की महिमा जो कटरे में आये

माँ के दर्शन करके फिर भैरव के मंदिर जाये.....

सुनो सुनों....३

माँ शेरावालीये माँ ज्योतावालीयें

माँ मेहरावाली ये माँ लाटावाली ये

माँ को जानो माँ को मानो

माँ ही सब कुछ ही है

माँ से बढ के ना कुछ

माँ ही सब कुछ है

जै माता की
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नंदलाल गोपाल दया करके , भवसागर पार उतार मुझे |

विकराल विशाल तंरगों से , करुणा करके कर पार मुझे ||



परसेवा परउपकार नहीं , सत्संग समान सुजन सत्कार नहीं ,

न विनय , न विवेक न विमल ह्रदय , मुझमें कोई शुचि संस्कार नहीं ,

तुझसे विनंती भी कर पाऊँ , इतना भी कहाँ अधिकार मुझे ? नंदलाल गोपाल ....



मैं दुर्जन और दयामय तू , मैं कृपण , कुमति , करुणामय तू ,

मैं वंचित हूँ , तू वत्सल हैं , मैं आश्रित हूँ , और आश्रय तू ,
मैं अधम , अधम ‍उद्धारक तू , इस नाते ही नाथ उबार मुझे ॥ नंदलाल गोपाल ...



मैं धिक्कृत हूँ , प्रभु धन्य हैं तू , मैं अणु हूँ , नाथ अनन्य हैं तू ,

तज तुझको , भला मैं किधर जाऊ ? शरणागत हूँ मैं शरण्य हैं तू ,

मैं विषकर , तू विषहारी हैं , मतकर रे अस्वीकार मुझे ॥ नंदलाल गोपाल ...



मैं पतित , पतितजनप्राण हैं तू , मैं त्रस्त , तृषित और त्राण हैं तू ,

कहीं और न ठोर ठिकाना मुझे , मैं भोगभुक्त , भगवान हैं तू ,
मैं तेरे पथ का रज कण हूँ , रहने दे अपने द्वार मुझे ॥ नंदलाल गोपाल ...



नंदलाल गोपाल दया करके , भवसागर पार उतार मुझे |

विकराल विशाल तंरगों से , करुणा करके कर पार मुझे ||

आचार्य श्री धर्मेंद्र जी महाराज के साभार
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मन तेरा मंदिर आखेँ दिया बाती, होटों की थालीयाँ बोल फुल पाती ||

रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती आरती ओ मैया आरती

ओ ज्योतावाली ऐ माँ तेरी आरती.....२
हे महालक्ष्मी माँ गौरी तु अपने आप है चारी

तेरी कीमत तु ही जाने तु बुरा भला पहचाने

ये कहते दिन और रातें तेरी लिखी ना जाये बातें
कोइ माने या ना माने हम भक्त तेरे दिवाने ...२

तेरे पावँ सारी दुनियाँ पखारती

मन तेरा मंदिर आखेँ दिया बाती, होटों की थालीयाँ बोल फुल पाती |

रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती आरती ओ मैया आरती ||

ओ ज्योतावाली ऐ माँ तेरी आरती....
हे गुणवती सतवंती हे पदवती रसवंती

मेरी सुनना ये विंनती मेरा चोला रंग बंसती

हे दुखःभजंन सुखदाती हमे सुख देना दिन रात्री

जो तेरी महिमा गाये मुँह माँगी मुरादे पाये

हर आँख तेरी और निहारती

मन तेरा मंदिर आखेँ दिया बाती, होटों की थालीयाँ , बोल फुल पाती |

रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती आरती ओ मैया आरती ||

ओ ज्योतावाली ऐ माँ तेरी आरती.....२

हे महाकाल महाशक्ती हमे दे दे ऐसी भक्ती
हे जगजननी महामाया है तु ही धूप और छाया

तू अमर अजर अविनाशी तु अनमिट पू्र्णमासी

सब करके दुर अंधेरे हमे बक्क्षों नये सवेरे

तु तो भक्तों की बिगडी सँवारती

मन तेरा मंदिर आखेँ दिया बाती, होटों की थालीयाँ बोल फुल पाती ||

रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती आरती ओ मैया आरती
ओ ज्योतावाली ऐ माँ तेरी आरती.....२

ओ तेरे पाँव सारी दुनियाँ पखारती

औ लाटा वाली माँ तेरी आरती
औ हर आँख तेरी और निहारती

औ ज्योतावाली माँ तेरी आरती

औ तु तो भक्तों की बिगडी सँवारती......
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जै माता की जै माता की सारे बोलो....६

तेरे सदके तू भेज दे बुलावा , दोनों हाथों जोड के मैं आऊ शेरावालीऐ
माँगू और क्या मैं इसके अलावा , छोड के ना दर मैं जाऊ शेरावालीऐ

शेरावाली मैहरा वाली जयोता वाली लाटावाली ....२

शेरावाली मैहरा वाली ज्योता वाली लाटावाली ..६

धरती क्या आकाश हैं क्या सब तेरे इशारों पर चलते हैं

चाँद सितारो के दिपक भी तेरे नूर से ही जलते हैं

हम बंदो की हस्ती क्या हैं तेरी दया पर ही पलते हैं

शेरावाली मैहरा वाली ज्योता वाली लाटावाली....२
तेरे सदके तू भेज दे बुलावा , दोनों हाथों जोड के मैं आऊ शेरावालीऐ

शेरावाली मैहरा वाली जयोता वाली लाटावाली ....२

रोता आये हँसता जाये तेरे दर की रीत यहीं है
जै माता की जै माता की ..४

नित नित तेरे दर्शन करना हम भक्तों की प्रीत यही हैं

जिसको चाहे उसको बुलाये मैंया तेरी रीत यहीं हैं

शेरावाली मैहरा वाली ज्योता वाली लाटावाली

तेरे सदके तू भेज दे बुलावा , दोनों हाथों जोड के मैं आऊ शेरावालीऐ
, दोनों हाथों जोड के मैं आऊ शेरावालीऐ माँगू और क्या मैं इसके अलावा , छोड के ना दर मैं जाऊ शेरावालीऐ

शेरावाली मैहरा वाली जयोता वाली लाटावाली ....२
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श्याम मने चाकर राखो जी |

श्याम मने चाकर राखो जी ||

चाकर रहसूँ नित उठ दरसण पासूँ | |

बिंद्राबन की गलियन में तेरि लीला गासूँ ||

श्याम मने चाकर राखो जी

चाकरी में दरसण पाऊँ, सुमिरण पाऊँ खरची |

भाव भगति जागिर पाऊँ, तीनूँ बाता सरसी ||

श्याम मने चाकर राखो जी ...

मीरा के प्रभु गहिर गँभीरा सदा रहो जी धीरा |

आधी रात प्रभु दरसन दींन्हें, प्रेमनदी के तीर ||

श्याम मने चाकर राखो जी

श्याम मने चाकर राखो जी |

श्याम मने चाकर राखो जी ||
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सावन की रुत हैं आ जा माँ, हम झुला तुझे झुलायगें

फुलों से सजायेंगे तुझको, मेंहदी हाथों में लगायेंगे....

सावन की रुत हैं आ जा

कोई भेंट करेगा चुनडी, कोई पहनायेगा चुडी,

माथे पे लगायेगा माँ कोई भक्त तिलक सिंदुरी,

कोई लिये खडा है पायल, लाया है कोई कंगना,

जिन राहों से आयेंगी माँ तु भक्तों के अंगना ,

हम पलके वहाँ बिछायेंगे ...

सावन की रुत हैं आ जा

माँ अंबुवा की डाली पे झुला भक्तों ने सजाया,

चंदन की बिछाई चौकी, श्रद्धा से तुझे बुलाया,

अब छोड ये आखँ मिचौली, आ जा ओ मैया भोली,

हम तरस रहे है कब से सुनने को तेरी बोली,

कब तेरा दर्शन पायेंगे ....

सावन की रुत हैं आ जा

लाखों है रुप माँ तेरे चाहे जिस रुप में आ जा,

नैनों की प्यास बुझा जा बस इक झलक दिखला जा,

झुले पे तुझे बिठा के तुझे दिल का हाल सुनाके,

फिर मेवे और मिश्री का तुझे प्रेम से भोग लगाके

तेरे भवन पे छोड के आयेगे ......

सावन की रुत हैं आ जा

सावन की रुत हैं आ जा माँ, हम झुला तुझे झुलायगें हैं

फुलों से सजायेंगे तुझको, मेंहदी हाथों में लगायेंगे....

सावन की रुत हैं आ जा

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वो काला इक बासुँरी वाला, वो काला इक बासुँरी वाला

सुध बिसरा गया मोरि रे, वो काला इक बासुँरी वाला ...

माखनचोर जो नंदकिशोर वो, कर गयों ओ रे मन की चोरी रे

कर गयों ओ रे मन की चोरी रे सुध बिसरा गया मोरि ....

कर गयों ओ रे मन की चोरी रे सुध बिसरा गया मोरि ....
वो काला इक बासुँरी वाला

सुध बिसरा गया मोरि रे.
पनघट पे मोरि बइयाँ मरोडी ....३

मैं बोली तो मेरी मटकी फोडी .

पइयाँ परु करु विनती पर ..२

माने ने इक वो मोरि
सुध बिसरा गया मोरि रे.... ,

वो काला इक बासुँरी वाला, वो काला इक बासुँरी वाला ...
वो काला इक बासुँरी वाला, सुध बिसरा गया मोरि रे....

छुप गयो फिर इक तान सुना के ...३

कहा गयो इक बाण चला के,
गोकुल ढुंढा, मैनें मथुरा ढुंढी ..२

कोइ नगरियाँ ना छोडी रे, सुध बिसरा गया मोरि रे.... ,

सुध बिसरा गया मोरि रे.... , वो काला इक बासुँरी वाला,

वो काला इक बासुँरी वाला सुध बिसरा गया मोरि रे.... ,

वो काला इक बासुँरी वाला, सुध बिसरा गया मोरि रे.... ,

वो काला इक बासुँरी वाला ,

वो काला इक बासुँरी वाला... माख्ननचोर जो,
नंदकिशोर वो, कर गयों औरे मन की चोरी रे

सुध बिसरा गया मोरि ....
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तुम बसी हो कण कण अंदर , माँ हम ढुढंते रह गये मंदिर में |

हम मूढमति हम अज्ञानी , माँ सार तुम्हारा क्या जाने ||



तेरी माया को ना जान सके , तुझको ना कभी पहचान सके |

हम मोह की निंद्रा सोये रहे , माँ इधर उधर ही खोये रहे |

तु सुरज तु ही चंद्रमा , हम ढुढंते रह गये मंदिर में || तुम बसी हो कण कण अंदर



हर जगह तुम्हारे डेरे माँ , कोइ खेल ना जाने तेरे माँ |
इन नैनों को ना पता चले , किस रुप में तेरी ज्योत जगे |

तु परवत तु ही समंदर माँ , हम ढुढंते रह गये मंदिर में || तुम बसी हो कण कण अंदर



कोइ कहता तुम्ही पवन में हो , और तुम्ही ज्वाला अगन में हो |
कहते है अंबर और जमी , तुम सब कुछ हो हम कुछ भी नहीं

फल फुल तुम्ही तरुवर माँ , हम ढुढंते रह गये मंदिर में || तुम बसी हो कण कण अंदर



तुम बसी हो कण कण अंदर , माँ हम ढुढंते रह गये मंदिर में |

हम मूढमति हम अज्ञानी , माँ सार तुम्हारा क्या जाने ||
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कभी फुर्सत हो तो जगदम्बें , निर्धन के घर भी आजा ना |
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बें , निर्धन के घर भी आजा ना |

जो रुखा सूखा दिया हमें, कभी उसका भोग लगा जाना ||



ना छत्र बना सका सोने का, ना चुनरी घर में रे तारो जडी |

ना पेडे बर्फी मेवा हैं माँ, बस श्रद्धा है नैन बिछाये खडी |

इस श्रद्धा की रख लो लाज हे माँ, इस अर्जी को ना ठुकरा जाना || जो रुखा सूखा दिया हमें......



जिस घर के दिये में तेल नहीं, वहाँ ज्योत जलाऊ मैं कैसे |

मेरा खुद ही बिछौना धरती पर, तेरी चौकी सजाऊ मैं कैसे |

जहाँ मै बैठा वही बैठ के माँ, बच्चों का दिल बहला जाना || जो रुखा सूखा दिया हमें......



तु भाग्य बनाने वाली है, माँ मैं तकदीर का मारा हूँ |

हे दाती संभालो को भिखारी को, आखिर तेरी आखँ का तारा हूँ |

मैं दोषी तु निर्दोष हैं माँ, मेरे दोषो को तु भुला जाना || जो रुखा सूखा दिया हमें......



कभी फुर्सत हो तो जगदम्बें , निर्धन के घर भी आजा ना |

जो रुखा सूखा दिया हमें, कभी उसका भोग लगा जाना ||
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कभी कभी भगवान को भी, भक्तों से काम पडे |

जाना था गंगा पार, प्रभू केवट की नाव चढें ||



अवध छोड प्रभू वन को धायें, सियाराम लखन गंगा तट आये,

केवट मन ही मन हरषायें, घर बैंठे प्रभू दर्शन पाये |

हाथ जोड प्रभू के आगे ,केवट मगन खडें | | जाना था गंगा पार..



प्रभू बोले तुम नाव चलाओ , पार हमें केवट पहुँचाओ ,

केवट बोला सुनो हमारी, चरण धूली की महिमा हैं भारी |

मैं गरिब हूँ नैया हैं मेरी,ना नारी होय पडे..|| जाना था गंगा पार..



केवट दौड के जल भर लाये, चरण धोये चरणमृत पाये ,

वेद ग्रंथ जिनके यश गाये ,केवट उनको नाव चढायें |

बरसे ढुल गगन से ऐसे भक्तों के भाग्य बडे ||जाना था गंगा पार..



चली नाव गंगा की धारा ,सियाराम लखन को पार उतारा,

देने लगे प्रभू नाव उतराई, केंवट कहे नहीं रघुराई |

पार किया मैने प्रभू तुमको, अब तुम मोहें पार करो || जाना था गंगा पार..



कभी कभी भगवान को भी, भक्तों से काम पडे |

जाना था गंगा पार, प्रभू केवट की नाव चढें ||
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दुनियाँ चले ना श्रीराम के बिना,

रामजी चले ना हनुमान के बिना .....३

जब से रामायण पढ ली है इक बात मैने समझ ली हैं,

रावण मरे ना श्रीराम के बिना लंका जले ना हनुमान के बिना.......दुनियाँ चले ना..

लक्ष्मण का बचना मुश्किल था कोन बुटी लाने के काबिल था

लक्ष्मण बचे ना श्रीराम के बिना बुटी मिले ना हनुमान के बिना.......दुनियाँ चले ना..

सीता हरण की कहानी सुनो बनवारी मेरी जुबानी सुनो

वापस मिले ना श्री राम के बिना पता चले ना हनुमान के बिना.......दुनियाँ चले ना..

सिहांसन पे बैठे हैं श्रीराम जी , चरणों में बैठे है हनुमान जी

मुक्ती मिले ना श्रीराम के बिना, भक्ति मिले ना हनुमान के बिना.......दुनियाँ चले ना..

दुनियाँ चले ना श्रीराम के बिना, रामजी चले ना हनुमान के बिना .....३
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छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना

कहते लोग इसे राम का दिवाना......छम छम नाचे

पाँव में घूंघरु बांध के नाचे

राम जी का नाम इसे प्यारा लागे

राम ने भी देखो इसे खुब पहचाना....छम छम नाचे

जहाँ जहाँ किर्तन होता श्री राम का

लगता हैं पहरा वहाँ वीर हनुमान का

राम के चरण में हैं इनका ठिकाना....छम छम नाचे

नाच नाच देखो श्रीराम को रिझाये

बनवारी देखो नाचता ही जाये

भक्तों में भक्त बडा दुनियाँ ने माना...छम छम नाचे

छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना

कहते लोग इसे राम का दिवाना......छम छम नाचे
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राम नाम सो ही जानिये , जो रमता सकल जहाँ

घट घट में जो रम रहा , उसको राम पहचान .
तेरा रामजी करेगे बेडा पार रे बेडा पार .... ....

तेरा रामजी करेगे बेडा पार , उदासी मन काहे को डरे ,
उदासी मन काहे को डरे ,

काहे को डरे.....२
.नैया तेरी राम हवाले , लहर लहर हरि आप संभाले ,

हरि आप ही उठाये तेरा भार .... उदासी मन काहे को डरे

तेरा रामजी करेगे बेडा पार ,उदासी मन काहे को डरे ,

काहे को डरे.....२



काबु में मझंधार उसी के , हाथों में पतवार उसी के ,

तेरी हार भी नहीं हैं तेरी हार .... उदासी मन काहे को डरे

तेरा रामजी करेगे बेडा पार , उदासी मन काहे को डरे ,

काहे को डरे.....२



सहज किनारा मिल जायेगा , परम सहारा मिल जायेगा ,

डोरी सौंप के तो देख इक बार .... उदासी मन काहे को डरे

तेरा रामजी करेगे बेडा पार , उदासी मन काहे को डरे ,

काहे को डरे.....२
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श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम

लोग करे मीरा को यूँ ही बदनाम ....

सांवरे की बंसी को बजने से काम

राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्याम.......

जमुना की लहरी बंसी वट की छैया

किसका नहीं कहो कृष्ण कन्हैया

श्याम का दिवाना तो सारा ब्रजधाम.......लोग करे..

कौन जाने बांसुरीयाँ किसको बुलाये

जिसके मन भाये वो उसीके गुण गाये

कौन नहीं बंसी की धुन का गुलाम....राधा का भी...

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम लोग करे मीरा को यूँ ही बदनाम ....

सांवरे की बंसी को बजने से काम राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्याम.......
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भई री मैं तो प्रेम दिवानी , मेरा दरद ना जाने कोय |

घायल की गत घायल जाने , और ना जाने कोय |

जौहर की गत जौहर जाने ,की जिन जौहर होय ॥...भई री मैं तो प्रेम....

सूली उपर सेज हमारी , सोना किस विध होय |

गगन मंसल पर सेज पिया की , मिलना किस विध होय ॥...भई री मैं तो प्रेम...

बन बन डोलू दरद की मारी , वैद्य मिला ना कोय |

मीरा कहे प्रभू पिर मिटेगी , जब वैद्य साँवरिया होय ॥......भई री मैं तो प्रेम.....
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हे मारुतिऽऽऽऽऽ

हे मारुति सारी राम कथा का सार तुम्हारी आँखों में,

दुनियाँ भर की भक्ति का हैं भंडार तुम्हारी आँखों में ,

हे मारुति सारी राम कथा का सार तुम्हारी आँखों में ,

जै जय जय बजरंगी ,बली, जै जय जय बजरंगी ,बली...२

लंका को तुम्ही ने जलाया था , रावण को तुम्हीं हिलाया था

संजवीनी बुटी ला कर के लक्षमण को जिलाया था ,

रहते हैं सदा रघुनन्दनजी साकार तुम्हारी आँखों में ॥ हे मारुतिऽऽऽऽऽ

तुम सचमुच संकट मोचन हो , शंकर की तरह त्रिलोचन हो ,

जिसपर हो तुम्हारी कृपा हो उसे , कभी कष्ट ना हो कभी सोच ना हो ,

चिंता जो काट करके रख दे ,वो तलवार तुम्हारी आँखों में ॥ हे मारुतिऽऽऽऽऽ

हे मारुति सारी राम कथा का सार तुम्हारी आँखों में,

दुनियाँ भर की भक्ति का हैं भंडार तुम्हारी आँखों में, ,

जै जय जय बजरंगी,बली, जै जय जय बजरंगीबली...२
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अरे ओ छोरा नन्द जी का

फागण में फाग खिला जा रे.....

गढ गोकुल का कुंवर कन्हैया

अब बरसाणे में आजा रे......अरे ओरे छोरा नन्द जी का

राधेजी से प्रीत लगी हैं सो

सो प्रीत निभजा रे......अरे ओ छोरा नन्द जी का

झोली भर गुलाल की ल्याई

मुख चोरस लिपटा जा रे......अरे ओ छोरा नन्द जी का

केसर जल से होद भरी हैं सो

सो ड़ुबकी लगा जा रे......अरे ओ छोरा नन्द जी का

भानुगढ में भांग घुटी हैं

गहरा नशा चढा जा रे......अरे ओ छोरा नन्द जी का

"चंद्रसखि "भज बाल कृष्ण छवि

पी जा और पीला जा रे......अरे ओ छोरा नन्द जी का

अरे ओ छोरा नन्द जी का फागण में फाग खिला जा रे......

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छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल

छोटो सो मेरो मदन गोपाल.....छोटी छोटी गैया

आगे आगे गैया पीछे पीछे ग्वाल

बीच में मेरो मदन गोपाल......छोटी छोटी गैया

कारि कारि गैया गोरे गोरे ग्वाल

श्याम वरण मेरो मदन गोपाल....छोटी छोटी गैया

घास खाये गैया दूध पिये ग्वाल

माखन खाये मेरो मदन गोपाल....छोटी छोटी गैया

छोटी छोटी लकुटि छोटे छोटे हाथ

बंसी बजाये मेरो मदन गोपाल.....छोटी छोटी गैया

छोटी छोटी सखियाँ मधुबन बाग

रास रचायें मेरो मदन गोपाल.....

छोटी छोटी गैया छोटी छोटी गैया

छोटे छोटे ग्वाल छोटो सो मेरो मदन गोपाल..
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राधा राधा जपो चले आयेगे बिहारी |

आयेंगे बिहारी चले आयेंगे बिहारी ॥राधे राधे.....

राधा मेरी चंदा तो चकोर हैं बिहारी ॥राधे राधे......

राधा रानी मिश्री तो स्वाद हैं बिहारी ॥राधे राधे.....

राधा मेरी गंगा तो धार हैं हैं बिहारी ॥राधे राधे......

राधा रानी तन हैं तो प्राण है बिहारी ॥राधे राधे.....

राधा रानी सागर तो तरंग हैं बिहारी ॥राधे राधे.....

राधा रानी मोहनी तो मोहन है बिहारी ॥राधे राधे...

राधा रानी गोरी तो साँवरे बिहारी ॥राधे राधे....

राधा रानी भोली भाली तो चंचल बिहारी ॥राधे राधे.....

राधा रानी नथली तो कंगन बिहारी ॥राधे राधे.....

राधा रानी मुरली तो तान है बिहारी ॥राधे राधे.....

राधा राधा जपो चले आयेगे बिहारी |

आयेंगे बिहारी चले आयेंगे बिहारी ॥राधे राधे.....
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रंग दे चुनरिया ,रंग दे चुनरिया | श्याम पिया मोरी ,रंग दे चुनरिया ॥

ऐसी रंग दे कि रंग नाहि छुटे | धोबिया धोये चाहे सारी उमरिया ॥

लाल ना रंगाऊ मैं , हरी ना रंगाऊ | अपने ही रंग में रंग दे चुनरिया |

बिना रंगाये मैं तो घर नाही जाऊंगी | बीत ही जाये चाहे ये सारी उमरिया ॥

प्रश्न हैं ःजल से पतला कौन है ?,कौन भूमि से भारी ? कौन अगन से तेज है ? कौन काजल से काली ?

उत्तर हैं ः जल से पतला ज्ञान हैं ,और पाप भुमि से भारी | क्रोध अगन से तेज हैं ,और कलंक काजल से काली ॥

मीरा के प्रभू ,गिरधर नागार प्रभू चरणन में लागी नजरिया ॥..... रंग दे चुनरिया

,रंग दे चुनरिया | श्याम पिया मोरी ,रंग दे चुनरिया ॥ श्याम पिया मोरी ,रंग दे चुनरिया ॥
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दाता एक राम ,भीखारी सारी दुनियाँ |

राम इक देवता ,पुजारी सारी दुनियाँ || दाता एक राम

द्वारे पे उसके जाके ,कोई भी पुकारता |

परम कृपा से ,अपनी भव से उबारता |

ऐसे दीनानाथ पर, बलिहारी सारी दुनियाँ || दाता एक राम

छोड के प्रपंच सारे, के ले विचार तू |

प्यारे प्रभू को अपने ,मन में निहार तू |

बिना हरी नाम के , दुःखयारी सारी दुनियाँ || दाता एक राम

नाम का प्रकाश, जब अंदर जगायेगा |

प्यारे श्रीराम का , तू दर्शन पायेगा |

वही एक ज्योत हैं, अंधियारी सारी दुनियाँ || दाता एक राम

दाता एक राम ,भीखारी सारी दुनियाँ |

राम इक देवता ,पुजारी सारी दुनियाँ ||
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है आखँ वो जो श्याम का दर्शन किया करें,

है शीश जो प्रभू चरण में वन्दन किया करें |

बेकार वो मुख हैं जो रहे व्यर्थ बातों में ,

मुख वो हैं जो हरिनाम का सुमिरन किया करें |

हीरे मोती से नहीं शोभा हैं हाथ की ,

हैं हाथ जो भगवान का पूजन किया करें |

मर कर भी अमर नाम हैं उस जीव का जग में ,

प्रभू प्रेम में बलिदान जो जीवन जो जीवन का किया करें |
ऐसी लागी लगन ...मीरा हो गई मगन

वो तो गली गली हरि गुण गाने लगी

ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन

महलों में पली बनके बनके जोगन चली

मीरा रानी दिवानी कहाने लगी

कोई रोके नहीं , कोई टोके नहीं
, कोई टोके नहीं मीरा गोंविद गोपाल गाने लगी...२

बैठी संतों के संग रंगी मोहन के रंग

मीरा प्रेमी प्रियतम को मनाने लगी

ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन

महलों में पली बनके जोगन चली
ऐसी लागी लगन ...मीरा हो गई मगन

वो तो गली गली हरि गुण गाने लगी

राणा ने विष दिया मानों अमृत पिया

मीरा सागर में सरिता समाने लगी

दुखः लाखों सहे मुख से गोंविद कहे
मीरा गोंविद गोपाल गाने लगी

ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन

महलों में पली बनके बनके जोगन चली

मीरा रानी दिवानी कहाने लगी
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मिठे रस से भरोडी राधा रानी लागे

म्हाने खारो खारो जमुना जी को पानी लागे......

जमुना जी तो कारि कारि राधा गोरी गोरी

वृंदावन में धूम मचावै बरसाने की छौरी

ब्रजधाम राधाजी राजधानी लागे.....म्हाने खारो खारो जमुना

ना भावै म्हाने माखन मिश्री , अब ना कोई मिठाई

म्हारी जिभ ने तो भावे ,राधा नाम मलाई

वृषभान की लल्ली तो गुड़धानी लागे .....म्हाने खारो खारो जमुना

राधा राधा नाम रटत हैं जो नर आठों यामा

उनकी बाधा दूर करत हैं राधा राधा नाम

राधा नाम में सफल जिंदगानी लागै .....म्हाने खारो खारो जमुना

कान्हा नित मुरली में टेरे ,सुमिरे बारम्बारा

कोटीन रुप धरै मन मोहन ,कबहूँ न पाये पारा

रुप रंग की छबिली पटरानी लागै .....म्हाने खारो खारो जमुना

मिठे रस से भरोडी राधा रानी लागे

म्हाने खारो खारो जमुना जी को पानी लागे
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बडी देर भई नंदलाला ,तेरी राह तके ब्रजबाला

ग्वाल बाल एक एक से पूछे ,कहाँ हैं मुरलीवाला रे...

कोई ना जाये कुंज गलिन में तुझ बिन कलियाँ चुनने को....

तरस रहे हैंऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ ओऽऽ

तरस रहे हैं जमुना के तट ,धुन मुरली की सुनने को ४

अब तो दरश दिखा दे रे ,नटखट क्यूँ दूविधा में डाला रे

संकट में हैं आज वो धरती ,जिस पर तुमने जन्म लिया

पूरा कर देऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽओऽऽ

पूरा कर दे आज वचन जो गीता में हैं तूने दिया

कोई नहीं तुझ बिन मोहन भारत का रखवाला रे........बडी देर भई

बडी देर भई नंदलाला ,तेरी राह तके ब्रजबाला....

ग्वाल बाल एक एक से पूछे ,कहाँ हैं मुरलीवाला रे...
___________________________________-
वृंदावन का कृष्ण कन्हैया ,सबकी आँखों का तारा |

मन ही मन क्यों डरे राधिका ,मोहन तो हैं सबका प्यारा ॥

जमुना तट पर नंद का लाला जब जब रास रचाये हो

तन मन डोले कान्हा ऐसी बंसी मधुर बजाये रे ॥

सुध बुध भुली खडी गोपियाँ जाने कैसा जादु डाला ॥ वृंदावन का कृष्ण कन्हैया .....

रंग सलोना ऐसा जैसे छाई हो घटा सावन की |

ऐ री मैं तो हुई दिवानी ,मनमोहन मन भावन की ॥

तेरे कारण देख साँवरे ,छोड दिया मैनें जग सारा ॥ वृंदावन का कृष्ण कन्हैया ....

वृंदावन का कृष्ण कन्हैया ,सबकी आँखों का तारा |

मन ही मन क्यों डरे राधिका ,मोहन तो हैं सबका प्यारा ॥
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मैली चादर ओढ के कैसे ,द्वार तुम्हारें आंऊ |

हे पावन परमेश्वर मेरे , मन ही मन शरमाऊ ॥

तुमने मुझको जग में भेजा ,निर्मल देकर काया |

आकर के संसार में मैनें .इसको दाग लगाया ॥

जन्म जन्म की मैली चादर ,कैसे दाग छुडांऊ..... मैली चादर ओढ के

निर्मल वाणी पाकर तुझसे ,नाम न तेरा गाया |

नैन मूंदकर हे परमेश्वर ,कभी न तुझको ध्याया ॥

मन वीणा की तारें टूटी. अब क्या गीत सुनाऊं..... मैली चादर ओढ के

इन पैरों से चलकर तेरे, मंदिर कभी न आया |

जहाँ जहाँ हो पूजा तेरी , कभी न शीश झुकायां ॥

हे हरिहर मैं हार के आया ,अब क्या हार चढाऊं..... मैली चादर ओढ के

मैली चादर ओढ के कैसे ,द्वार तुम्हारें आंऊ |

हे पावन परमेश्वर मेरे , मन ही मन शरमाऊ ॥
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